न्युज एक्सपोज, इंदौर
रेलवे स्टेशन पर स्थित बापू के स्मारक को हटाने को लेकर नमर्दा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेघा पाटकर ने भी कढ़ा विरोध किया है। उन्होंने इस मामले में रेलवे बोर्ड को भी पत्र लिखकर मांग की है कि इस गांधी स्मारक क ो स्थान को हटाया न जाए। साथ ही यह भी चेताया कि अगर इसे हटाया गया तो उग्र आंदोलन होगा।
रेलवे अफसरों ने काले ही स्टेशन से बापू की यादें मिटाने की पूरी व्यवस्था कर ली हो, लेकिन शहर के समाजसेवी और नेता इसके विरोध में आगे आ गए हैं। इसी कड़ी में नमर्दा बचाओ आंदोलन के सिलसिले में इंदौर आईं मेघा पाटकर गुरुवार की शाम को स्टेशन पर काी गईं। उन्होंने यहां प्लेटफॉर्म एक के बाहर स्थित बापू के स्मारक को देखा। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह स्मारक काफी पुराना है और किसी भी कीमत पर इसे हटाने नहीं दिया जाएगा। पूर्व मंत्री ममता बनर्जी ने जबसे रेल मंत्रालय छोड़ा है उसके बाद से रेलवे की जमीनों पर बड़े ठेकेदारों ने कब्जा जमाना शुरू कर दिया है। इंदौर स्टेशन पर भी रेलवे कैंटीन काफी अच्छा है। इसके पीछे फूड प्लाजा बनाए जाने का कोई औचित्य समझ नहीं आता। इसको लेकर रेल मंत्रालय में बात की जाएगी। अगर रेल प्रशासन ने स्मारक हटाया तो उन्हें जनप्रतिनिधियों के साथ समाजिक संगठनों और गांधीवादी नेताओं का विरोध भी सहन करना पड़ेगा। यह जानकर काफी अच्छा लगा कि शहर के कई गांधीवादी नेता इसके समर्थन में आगे आए हैं। जब भी जरूरत पड़ेगी मैं अवश्य आउंगी।
रेलवे स्टेशन पर स्थित बापू के स्मारक को हटाने को लेकर नमर्दा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेघा पाटकर ने भी कढ़ा विरोध किया है। उन्होंने इस मामले में रेलवे बोर्ड को भी पत्र लिखकर मांग की है कि इस गांधी स्मारक क ो स्थान को हटाया न जाए। साथ ही यह भी चेताया कि अगर इसे हटाया गया तो उग्र आंदोलन होगा।
रेलवे अफसरों ने काले ही स्टेशन से बापू की यादें मिटाने की पूरी व्यवस्था कर ली हो, लेकिन शहर के समाजसेवी और नेता इसके विरोध में आगे आ गए हैं। इसी कड़ी में नमर्दा बचाओ आंदोलन के सिलसिले में इंदौर आईं मेघा पाटकर गुरुवार की शाम को स्टेशन पर काी गईं। उन्होंने यहां प्लेटफॉर्म एक के बाहर स्थित बापू के स्मारक को देखा। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह स्मारक काफी पुराना है और किसी भी कीमत पर इसे हटाने नहीं दिया जाएगा। पूर्व मंत्री ममता बनर्जी ने जबसे रेल मंत्रालय छोड़ा है उसके बाद से रेलवे की जमीनों पर बड़े ठेकेदारों ने कब्जा जमाना शुरू कर दिया है। इंदौर स्टेशन पर भी रेलवे कैंटीन काफी अच्छा है। इसके पीछे फूड प्लाजा बनाए जाने का कोई औचित्य समझ नहीं आता। इसको लेकर रेल मंत्रालय में बात की जाएगी। अगर रेल प्रशासन ने स्मारक हटाया तो उन्हें जनप्रतिनिधियों के साथ समाजिक संगठनों और गांधीवादी नेताओं का विरोध भी सहन करना पड़ेगा। यह जानकर काफी अच्छा लगा कि शहर के कई गांधीवादी नेता इसके समर्थन में आगे आए हैं। जब भी जरूरत पड़ेगी मैं अवश्य आउंगी।
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