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Thursday 24 May 2012

-किसान हुए आक्रोशित जमकर हुआ हंगामा


न्यूज एक्सपोज, इंदौर।
सुपर कॉरिडोर का सुनहरा सपना अभी आंखों से बाहर ही आया है और पलको ने छपकना शुरू कर दिया। किसान, प्रशासन और विकास इन तीनों की जुगलबंदी सुपर कॉरिडोर को सिंगापुर की तर्ज पर विकसित तो नहीं कर पा रही है, बल्कि सिंगूर बनने के हालात जरूर पैदा कर रही है। गुरुवार को इंदौर विकास प्राधिकरण में हुई बैठक में किसानों ने जहां अधिग्रहण की नीतियों के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया, वहीं आईडीए भी झुकने को तैयार नहीं है। कुल मिलकार दूसरे दौर की बैठक भी निराधार रही।
सुपर कॉरिडोर से लगी स्कीम 151, 169-ए, 169-बी और स्कीम 139 के लिए जमीन देने वाले किसान गुरुवार एक बार फिर आईडीए अफसरों के सामने जमीन अधिग्रहण संबंधित चर्चा करने पहुंचे। सुबह 11 से दोपहर 1.30 बजे तक चली इस बैठक में आईडीए किसानों को विश्वास में नहीं ले पाया। इधर किसान प्रशासन के साथ हुए एग्रीमेंट और वास्विकता में भारी अंतर बता रहे हैं। बैठक में कई बार ऐसे क्षण भी आए जब किसान अपना आपा खो चुके थे। हंगामा, तेज आवाज और बार-बार आईडीए सीईओ की समझाइश के बीच एक भी किसान की समस्या का निराकरण नहीं हो पाया। सुपर कॉरिडोर पर अगर जल्द जमीन अधिग्रहण के मसलों पर एकमत नहीं हुआ तो, यहां सिंगूर बनने में देर नहीं लगेगी। उल्लेखनीय है कि इससे पहले 14 अप्रैल को किसानों को आईडीए भवन बुलाया गया था। हालांकि सीईओ की गैरमौजूदगी में भारी हंगामे और सुपर कॉरिडोर उखाड़ने जैसी चेतावनी के बीच बातचीत अधूरी रह गई थी।
सुपर कॉरिडोर के पांच गांव में विकसित हो रही स्कीम 169 ए, 169 बी, 151 और 139 के किसानों अभी तक अपना हक नहीं मिल पाया है। शुक्रवार को आईडीए में हुई दूसरी दौर की बैठक भी निराधार साबित हुई। जहां आईडीए सीईओ चंद्रमोली शुक्ला किसानों को राजी नहीं कर पाए, वहीं किसानों ने अपने साथ हुए छल को लेकर आईडीए को जमकर कोसा। बैठक में 70 से अधिक किसानों ने आईडीए द्वारा की गई जमीन अधिग्रहण में कई खामिया गिना दी, वहीं सीईओ ने वहीं पुराने विकल्प देकर बैठक की इतिश्री कर ली। बैठक में बीच बीच में कई बार किसान उग्र हुए। कई किसानों ने यहां तक कहा कि जान चले जाए पर जमीन नहीं देंगे। कोई भी किसान एग्रीमेंट नहीं करें। बैठक के बीच में यहां कुछ मीडिया कर्मी भी अंदर आए, जिस पर सीईओ ने कहा कि मीडिया बाहर जाए तो बात होगी। इस पर किसानों ने आपत्ति लेते हुए कहा कि मीडिया के सामने ही बात होगी। करीब 2 घंटे 30 मिनट चली इस बैठक खाली हाथ ही किसानों को लौटना पड़ा।

बैठक में आए भौरासला के किसान राधे श्याम साहु ने बताया कि 2003 में आईडीए ने स्कीम नंबर 139 और एमआर 10 के लिए मेरी 11 बीघा जमीन अधिग्रहित की थी। जिसका मुआवजा 2005 में 3 रुपए वर्गफिट के हिसाब से दिया गया। बाद में यही जमीन आईडीए ने विकसित कर 26 करोड़ रुपए में बेच दी। अब आईडीए स्कीम 169 ए में भी मेरी 7 बीघा जमीन अधिग्रहित कर ली है। किसान जगन्नाथ बापू सिंह ने बताया कि 2003 में आईडीए ने स्कीम 139 और एमआर 10 के लिए हमारी 5 बीघा जमीन अधिग्रहित की थी। जिसका मुआवजा 9 लाख रुपए दिया। वर्तमान में जमीन करोड़ो रूपए की हो गई है। प्रशासन ने हमेशा हमारे साथ अन्याय किया है।

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