न्यूज़ एक्सपोज , इंदौर
भारतीय जनता पार्टी [भाजपा] के कई शीर्ष नेताओं में 'मनभेद' की चर्चाओं के बीच गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मुलकात की।
योजना आयोग की बैठक के सिलसिले में दिल्ली पहुंचे मोदी सबसे पहले वाजपेयी से मिले, फिर उन्होंने आडवाणी से मुलाकात की।
आडवाणी इन दिनों दो कारणों से पार्टी के भीतर चर्चा में हैं। पहला तो यह कि हाल ही में मुम्बई में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद हुई रैली से उन्होंने खुद को दूर रखा और दूसरा कारण यह कि अपने ब्लॉग पर पार्टी को सक्षम विपक्ष बनने की नसीहत देते हुए अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी की कार्यशली पर कटाक्ष किया।
मोदी का भी गडकरी से 'मनभेद' चर्चा में रहा है। लेकिन अपने प्रतिद्वंद्वी संजय जोशी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से छुट्टी दिलाने के बाद सम्भव है कि उनका मन थोड़ा बदला हो।
ज्ञात हो कि शीर्ष नेताओं के बीच मतभेद को भाजपा के कई नेता 'मनभेद' कहना ज्यादा पसंद करते हैं।
चर्चा यह भी है कि आडवाणी और मोदी के बीच समीकरण तभी तक ठीक है, जब तक कि मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं किया गया है। दोनों नेताओं के बीच 'मनभेद' की चर्चा तभी शुरू हो गई थी जब भ्रष्टाचार के खिलाफ रथयात्रा पर निकले आडवाणी ने यात्रा शुरू करने के लिए बिहार को चुना। आडवाणी ने हालांकि 1990 में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए गुजरात के सोमनाथ से रथयात्रा शुरू की थी। यह दीगर बात है कि राम मंदिर के मुद्दे को पार्टी ने फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
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