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Friday 1 June 2012

अब निशाने पर मोदी


न्यूज़ एक्सपोज , इंदौर  
भाजपा के भीतर जारी घमासान और तेज हो गया है। वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी पर निशाना साधे जाने के बाद अब भाजपा के मुखपत्र कमल संदेश में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को संयम का पाठ पढ़ाया गया है। मुंबई में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान मोदी के तेवरों की जमकर आलोचना की गई है। मोदी को अनुशासन में रहने और खुद को पार्टी से बड़ा न समझने की सलाह दी गई है।

कमल संदेश के ताजा अंक के संपादकीय में सीधे तौर पर मोदी का नाम तो नहीं लिया गया, लेकिन यह कहा गया कि पार्टी के कुछ नेताओं को आगे बढ़ने की जल्दबाजी है। उसमें लिखा गया है, जो लोग जल्दबाजी में हैं, वो पार्टी के ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रहे हैं। संपादकीय में आगे लिखा है, व्यवस्थाएं पार्टी में कार्यरत लोग ही कायम रखते हैं। पार्टी किसी एक के सहयोग से नहीं, सभी के सहयोग से चलती है। सिर्फ मेरी ही चलेगी, मेरी नहीं तो किसी की नहीं चलेगी की तर्ज पर न संगठन चलता है न ही समाज और न परिवार।


संपादकीय के अनुसार, जब एक शख्स ऊंचाइयों पर चढ़ता है तो उसकी समझदारी भी बढ़नी चाहिए। लेकिन अफसोस की बात है कि शीर्ष पर पहुंचने के बाद अक्सर लोग अपने नीचे वाले को कमतर दिखाने की कोशिश करते हैं जबकि उन्हें पता होता है कि एक दिन वो भी इस स्थिति में पहुंचेंगे। जब हम किसी शख्स की हद सेज्ज्यादा तारीफ करते हैं तो इसकी अधिक गुंजाइश रहती है कि वह शख्स बहक जाएगा। इसी तरह जब किसी की हद से अधिक आलोचना की जाती है तो हम उसके बाहर जाने का रास्ता साफ कर रहे होते हैं।

अप्रत्यक्ष रूप से मोदी को संयम रखने की सीख देते हुए लिखा गया है, अटल, आडवाणी और डॉ. जोशी भारतीय राजनीति में आज भी इसलिए चमक रहे हैं, क्योंकि उन्होंने हमेशा संगठन को सबसे ऊपर माना। अपने को पार्टी के भीतर रखा। उनका कद बहुत बड़ा है, पर उन्होंने अपने कद को पार्टी के कद से कभी ऊंचा नहीं बनाया।

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