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Friday, 11 May 2012

अब खेत बनेंगे भण्डारण का स्थान

  न्यूज एक्सपोज, इंदौर।  
किसानों के लिए प्रदेश सरकार द्वारा एक विशेष योजना तैयार की जा रही है। इस योजना के तहत फल-सब्जियों का उत्पादन करने वाले किसानों के खेत पर ही इनके उत्पादों के भंडारण की व्यवस्था की जाएगी। भंडारगृह के निर्माण पर जो लागत आएगी उसमें से 50 फीसदी हिस्सा उद्यानिकी विभाग सब्सिडी के रूप में किसानों को देगा।

उद्यानिकी फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों को विकास के बेहतर अवसर मुहैया कराने के लिए इस योजना पर कार्य किया जा रहा है। जल्द ही इस योजना को अमलीजामा पहनाया जाएगा। इसमें किसानों के खेत पर ही दो हजार मिट्रिक टन की क्षमता वाले भंडारगृहों का निमार्ण किया जाएगा। इसमें एक भंडारगृह का निर्माण करीब एक करोड़ बीस लाख रुपए की लागत से होगा। इसमें से 50 फीसदी हिस्सा 60 लाख रुपए की राशि विभाग सब्सिडी के तौर पर किसानों को प्रदान करेगा। साथ ही किसान 60 लाख रुपए के लिए बैंकों से लोन भी ले सकता है। इसके अलावा किसान यह सुविधा एक समूह (5 या 10 किसान) बनाकर भी प्राप्त कर सकते हैं। समूह में शामिल किसी एक किसान के खेत में भंडारगृह का निर्माण किया जा सकता है। उसका लाभ समूह में शामिल अन्य किसान उठा सकते हैं। इससे किसानों की परिवहन लागत भी खत्म हो जाएगी।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस योजना से निश्चित तौर पर किसानों को लाभ पहुंचेगा, क्योंकि कई बार कोई फल या सब्जियों का उत्पादन इतना अधिक हो जाता है कि उन्हें स्टोर करने के लिए वर्तमान में उपलब्ध भंडारगृहों में स्थान नहीं होता। ऐसे में किसान को वह फसल लागत से कम कीमत पर बेचना पड़ती है। 
गौरतलब है कि प्रदेश के आलू व टमाटर उत्पादक किसानों के सामने यही समस्या उत्पन्न हो गई थी। थोक मंडी में आलू की कीमत गिरकर 50 पैसे प्रति किलो तक आ गई थी। भंडारगृह में स्थान नहीं होने से भंडारगृहों के मालिकों ने किसानों आलू रखने से मनाकर दिया था। जिन किसानों को आलू पहले से ही कोल्ड स्टोरेजों में रखा था उसे बाहर निकालने के लिए कह दिया गया था। ऐसे में कई किसानों ने अपने आलू सड़कों पर फेंक दिए थे। यही स्थिति टमाटर उत्पादक किसानों के समक्ष भी पैदा हो चुकी है। वर्तमान में मालवा-निमाड़ फल, सब्जी, फूल उत्पादन के क्षेत्र में लगातार फल-फूल रहा है। 
शासन को प्रस्ताव भेज दिया है 

हमने शासन स्तर पर इस योजना को प्रस्तावित कर दिया है। आज किसानों को सबसे अधिक फसलों को लाने ले जाने में लगता है। इस योजना से वो काफी हद तक खत्म हो जाएगा। साथ ही किसान अपनी फसलों को व्यापारियों से अधिक अच्छे से संभालेगा। 
- एसके खासकलम, संचालक उद्यानिकी विभाग

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