न्युज एक्सपोज,इंदौर
चार साल पहले 2008 में रेलवे ने कुश्ती प्रशिक्षण के लिए बाकायदा समारोह कर शिलालेख लगाया और खेल क ो बढावा देने क ी बड़ी बड़ी बाते मंच से क ी लेकिन आज भी चार साल बाद वहीं केवल वहीं शीलालेख ही लगा हुआ है ना कोई बजट मिला ना प्रशिक्षण ।
जिस तरह इंदौर और मालवा रेल बजट में उपेक्षा का शिकार होता आया वैसे ही खेल गतिविधियों को लेकर भी उसी तरह इंदौर की उपेक्षा की जा रही है । चार साल पहले कोचिन डिपो के समीप ओलंपिक में पदक विजेता सुशिल कुमार, तत्कालिन डीआरएम प्रभात कुमार , एवं अध्यक्षता रतलाम मंडल खेलकुद के अजय गुप्ता ने की थी इस मौके पर उमेश पटेल , पप्पुयादव और कृपाशंकर शुक्ला भी थे । भुमि पुजन हुआ शिलालेख लगा और उसके बाद कुछ भी नहीं हुआ । ना दाव पेच लगे ना धोबी पछाड़ लगाया गया, ना धाग,निकाल ,कलाजंग ,बगलडू , टांग, और लौट, बेक काल्तो जैसे दाव पेंच का प्रशिक्षण शुरु हो पाया । चार साल से बजट के लिए रतलाम मँडल का प्रपोजल मुख्यालय भेजा गया जिसक ा जवाब अब तक नहीं आया । जिससे कुश्ती प्रेमी पहलवान में काफी रोष है ।
खेल कोटे से कई पहलवान
रेलवे स्टेशन पर खेले कोटे से कई पहलवानों को नौकरी दी है जिसके तहत टीटी के पद पर अंतराष्ट्रीय ख्याती प्राप्त पहलवान कृपाशंकर , पप्पु यादव, उमेश पटेल , वली उल्लाह खान, बलराम यादव, विनोद कुमार, सुरेंद्र देशवाल जो रेलवे में पदस्त है ।
रतलाम में स्टेडियम तो उज्जैन में जिम्नेशियम
रेलवे खेल गतिविधीयों को बढावा देने के लिए रेलमंत्रालय द्वारा राशि स्विकृत कर क्षेत्रिय रेलवे को दी जाती है वहीं क्षे त्रिय रेलवे वह बजट अपने मंडलों को देती है जिसके बाद खेल गतिविधियों को आगे बढाया जाता है जिसके तहत रतलाम में एक स्टेडियम बनाया गया जो पुर्णता की और है वहीं उज्जैन में भी एक जिम्नेशियम खोला गया ।
रेलवे कु छ करना ही नहीं चाहता 2008 में भुमि पुजन किया गया उसके लिए आज तक कोई बजट नहीं मिला हमें भी इधर उधर जाना पड़ता है ।. . . . बलराम यादव . . . . अंतराष्ट्रीय पहलवान
खेल को बड़ावा देने में इच्छी शक्ती की आवश्यकता है लेकिन वह नजर नहीं आती । कई बार लिखित में मांग की गई सभी पहलवानों द्वारा रतलाम मण्डल से मुख्यालय तक को भेजा गया लेकिन क्रिकेट को बढावा दिया जाता है देशी खेले कुश्ती को नहीं . . . सुरेंद्र देवले. . . . भारत केसरी विजेता पहलवान
चार साल पहले 2008 में रेलवे ने कुश्ती प्रशिक्षण के लिए बाकायदा समारोह कर शिलालेख लगाया और खेल क ो बढावा देने क ी बड़ी बड़ी बाते मंच से क ी लेकिन आज भी चार साल बाद वहीं केवल वहीं शीलालेख ही लगा हुआ है ना कोई बजट मिला ना प्रशिक्षण ।
जिस तरह इंदौर और मालवा रेल बजट में उपेक्षा का शिकार होता आया वैसे ही खेल गतिविधियों को लेकर भी उसी तरह इंदौर की उपेक्षा की जा रही है । चार साल पहले कोचिन डिपो के समीप ओलंपिक में पदक विजेता सुशिल कुमार, तत्कालिन डीआरएम प्रभात कुमार , एवं अध्यक्षता रतलाम मंडल खेलकुद के अजय गुप्ता ने की थी इस मौके पर उमेश पटेल , पप्पुयादव और कृपाशंकर शुक्ला भी थे । भुमि पुजन हुआ शिलालेख लगा और उसके बाद कुछ भी नहीं हुआ । ना दाव पेच लगे ना धोबी पछाड़ लगाया गया, ना धाग,निकाल ,कलाजंग ,बगलडू , टांग, और लौट, बेक काल्तो जैसे दाव पेंच का प्रशिक्षण शुरु हो पाया । चार साल से बजट के लिए रतलाम मँडल का प्रपोजल मुख्यालय भेजा गया जिसक ा जवाब अब तक नहीं आया । जिससे कुश्ती प्रेमी पहलवान में काफी रोष है ।
खेल कोटे से कई पहलवान
रेलवे स्टेशन पर खेले कोटे से कई पहलवानों को नौकरी दी है जिसके तहत टीटी के पद पर अंतराष्ट्रीय ख्याती प्राप्त पहलवान कृपाशंकर , पप्पु यादव, उमेश पटेल , वली उल्लाह खान, बलराम यादव, विनोद कुमार, सुरेंद्र देशवाल जो रेलवे में पदस्त है ।
रतलाम में स्टेडियम तो उज्जैन में जिम्नेशियम
रेलवे खेल गतिविधीयों को बढावा देने के लिए रेलमंत्रालय द्वारा राशि स्विकृत कर क्षेत्रिय रेलवे को दी जाती है वहीं क्षे त्रिय रेलवे वह बजट अपने मंडलों को देती है जिसके बाद खेल गतिविधियों को आगे बढाया जाता है जिसके तहत रतलाम में एक स्टेडियम बनाया गया जो पुर्णता की और है वहीं उज्जैन में भी एक जिम्नेशियम खोला गया ।
रेलवे कु छ करना ही नहीं चाहता 2008 में भुमि पुजन किया गया उसके लिए आज तक कोई बजट नहीं मिला हमें भी इधर उधर जाना पड़ता है ।. . . . बलराम यादव . . . . अंतराष्ट्रीय पहलवान
खेल को बड़ावा देने में इच्छी शक्ती की आवश्यकता है लेकिन वह नजर नहीं आती । कई बार लिखित में मांग की गई सभी पहलवानों द्वारा रतलाम मण्डल से मुख्यालय तक को भेजा गया लेकिन क्रिकेट को बढावा दिया जाता है देशी खेले कुश्ती को नहीं . . . सुरेंद्र देवले. . . . भारत केसरी विजेता पहलवान
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