न्यूज एक्सपोज, इंदौर।
आरटीई अनिवार्य बाल शिक्षा कानून के तहत गरीब बच्चों को प्रवेश नहीं देना सेंट रेफिल्स विद्यालय को महंगा पड़ सकता है।
सेंट रेफियल्स स्कूल के खिलाफ संयुक्त संचालक लोक शिक्षण एसबी सिंह ने प्रमुख सचिव को एक शिकायती पत्र भेजा है। इस पत्र में अनिवार्य बाल शिक्षा कानून का मखौल उड़ाने और प्रवेश के दौरान धांधली करने के मामले में विद्यालय के खिलाफ 420 का प्रकरण दर्ज कराने और विद्यालय की मान्यता समाप्त करने की शिफारिश की गई है। उल्लेखनीय है कि इंदौर के कुछ बड़े निजी स्कूल आरटीई कानून के अंर्तगत बच्चों को प्रवेश देने में आनाकानी कर रहे थे। ऐसा ही सेंट रेफियल्स स्कूल ने किया। इस विद्यालय ने एज्यूकेशन पोर्टल पर प्रारंभिक कक्षा की संख्या अधिक बताई, जिसके आधार पर आरटीई के तहत उसे प्रवेश देना था, लेकिन कम प्रवेश दे रिक्त सीटों पर अन्य बच्चों का बड़ी डोनेशन फीस ले प्रवेश दिया गया।
इस मामले संयुक्त संचालक लोकशिक्षक द्वारा जांच की गर्ठ, लेकिन स्कूल प्रबंधन द्वारा जांच कराने से मना कर दिया गया, क्योंकि आरटीई के सीटों पर डोनेशन लेकर अन्य बच्चों को एडमिशन दे दिया गया था। इस सबके चलते विद्यालय की प्राचार्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 353, 332 एवं 186 के कुछ खंडों के तहत प्रकरण दर्ज करने और विद्यालय की मान्यता समाप्त करने की अनुमति की अनुशंसा करने की बात कही गई है।
आरटीई अनिवार्य बाल शिक्षा कानून के तहत गरीब बच्चों को प्रवेश नहीं देना सेंट रेफिल्स विद्यालय को महंगा पड़ सकता है।
सेंट रेफियल्स स्कूल के खिलाफ संयुक्त संचालक लोक शिक्षण एसबी सिंह ने प्रमुख सचिव को एक शिकायती पत्र भेजा है। इस पत्र में अनिवार्य बाल शिक्षा कानून का मखौल उड़ाने और प्रवेश के दौरान धांधली करने के मामले में विद्यालय के खिलाफ 420 का प्रकरण दर्ज कराने और विद्यालय की मान्यता समाप्त करने की शिफारिश की गई है। उल्लेखनीय है कि इंदौर के कुछ बड़े निजी स्कूल आरटीई कानून के अंर्तगत बच्चों को प्रवेश देने में आनाकानी कर रहे थे। ऐसा ही सेंट रेफियल्स स्कूल ने किया। इस विद्यालय ने एज्यूकेशन पोर्टल पर प्रारंभिक कक्षा की संख्या अधिक बताई, जिसके आधार पर आरटीई के तहत उसे प्रवेश देना था, लेकिन कम प्रवेश दे रिक्त सीटों पर अन्य बच्चों का बड़ी डोनेशन फीस ले प्रवेश दिया गया।
इस मामले संयुक्त संचालक लोकशिक्षक द्वारा जांच की गर्ठ, लेकिन स्कूल प्रबंधन द्वारा जांच कराने से मना कर दिया गया, क्योंकि आरटीई के सीटों पर डोनेशन लेकर अन्य बच्चों को एडमिशन दे दिया गया था। इस सबके चलते विद्यालय की प्राचार्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 353, 332 एवं 186 के कुछ खंडों के तहत प्रकरण दर्ज करने और विद्यालय की मान्यता समाप्त करने की अनुमति की अनुशंसा करने की बात कही गई है।
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